भारत की फर्नीचर और वुड इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इस विकास की सबसे बड़ी रुकावट है – कुशल मेनपावर की भारी कमी।
भारत में उद्योगों के लिए स्किल्ड मेनपावर्स (कुशल वर्कर्स) की कमी की बड़ी समस्या है, देश के औद्योगिक क्षेत्र के अत्यंत गतिशील विकास के लिए सिर्फ मेनपावर्स की नहीं बल्कि स्कील्ड मेनपावर्स की अत्यंत आवश्यकता होती है। वेल्यू और वॉल्यूम वर्तमान बाज़ार व्यवस्था के महत्वपूर्ण पहलू है, स्थानिय एवं वैश्विक स्तर पर इस व्यवस्थाने अपना स्थान कायम किया है। मास प्रोडक्शन और डिज़ाइन और सुदृढ़ वितरण प्रणाली से चीनने आंतरराष्ट्रीय बाज़ार में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। वेल्यू और वॉल्यूम का गॉल टार्गेट करने के लिए सक्षम उत्पादन करनेवाली मशीने, सस्ते और कुशल वर्कर्स – डिज़ाइन से लेकर लेब आसिस्टंट, प्रोडक्शन, मार्केटींग तथा वितरण व्यवस्था के लिए कुशल मेनपावर्स की जरुरत होती है। भारत के पास मेनपावर फ़ोर्स बहुत है लेकिन कुशल (स्कील्ड) मेनपावर्स की बहुत कमी है।
देश के 50 करोड़ से भी ज्यादा काम करने की अवस्था में है, इस दृष्टि से चीन के बाद भारत का (दूसरा) स्थान है लेकिन युवावर्ग की श्रेणी (18 से 35 साल की उम्र वाले) लोगो की संख्या चीन से भी अधिक है, भारत अगर इस वर्क फ़ोर्स को आर्थिक व औद्योगिक गतिविधिओं में अच्छी तरह से शामिल कर ले तो वह चीन से भी आगे निकल शकता है।
आज देश के ऑर्गेनाइज़्ड सेक्टर में वर्कर्स की संख्या 15 प्रतिशत है जबकि अनऑर्गेनाइज़्ड (असंगठित) क्षेत्र में 85 प्रतिशत है, इन दोनों क्षेत्रो में स्कील्ड वर्कर्स की कमी 60 प्रतिशत से भी ज्यादा है।
आज करोड़ो युवा बेरोजगार दिशाहीन-दशा में इधर-उधर भटक रहे है लेकिन उनके लिए रोजगार (जॉब) नहीं है इस स्थिति के लिए हमारी शिक्षण प्रणाली, तालिम (ट्रेनिंग)की कमी, व्हाइट कॉलर जॉब या अपनी योग्यता से ज्यादा, ऊँची अपेक्षावली जॉब पाने की इच्छा, विदेश जाने की मनोवृत्ति और प्रोडक्शन या फील्डवर्क में काम करने की बजाय एडमिनिस्ट्रेशन या मैनेजमेंट लेवल या ऑफिस वर्क करने की मानसिकता जिम्मेदार है।
फर्निचर और वुड इंडस्ट्री की बात करे तो इसमें शिक्षण और तालिम की कमी एक बड़ी समस्या है। इस सेक्टर में 80 प्रतिशत से भी ज्यादा काम करनेवालोने सेकन्डरी स्कूल तक का शिक्षण भी प्राप्त नहीं किया है। वुड फर्निचर या वुड इन्डस्ट्री से जुडी किसी भी क्षेत्र की कंपनी (चाहे वह प्लाइ, पैनल, मशीनरी एमडीएफ, डबल्यू पीसी, विनियर, डोर्स मेन्युफेक्चर) हो, सभी कुशल कर्मचारी या वर्कर्स की कमी 60 प्रतिशत से ज्यादा है। डिज़ाइनिंग, प्रोडक्शन, लेब डिलीवरी व्यवस्था हर जगह आधुनिक टेक्नोलॉजी और नई प्रचार-प्रसार व्यवस्था का स्थापित हो रहा है तब कुशल मेनपावर्स की जरुरत ज्यादा होती है, फर्निचर या वुड बेइज़ इंडस्ट्री में यु.पी, बिहार, महाराष्ट्र, ओडिसा, प.बंगाल, राजस्थान और गुजरात के वर्कर्स ज्यादा है जिनमें शिक्षण और वर्तमान जरूरते और योग्यता के हिसाब से काम करने की क्षमता कम है। आज जब मास प्रोडक्शन, वेल्यू-वोल्यूम क्वॉलिटी और उत्तम सवितरण और ग्राहक सेवा पर जोर दिया जा रहा है तब उत्पादन की धीमी व्यवस्था हमारे उद्योगो के लिए नुकशानदेह साबित होगी।
एक और स्कील्ड वर्कर्स की कमी कम करने के लिए अद्यतन और बड़ी मात्रा में प्रोडक्शन लेनेवाली मशीन की पूर्ति तो दूसरी तरफ वर्कर्स को तालिम देने की सुविधा देने का प्रयास हो रहा है लेकिन वो हमारी आशा और अपेक्षा में पुरे नहीं उतरे है। कुशल वर्कस पाने के लिए सरकार, उद्योग और शिक्षण तथा तालीम इंस्टीट्यूटो को भरपूर प्रयास करने होंगे।
फर्निचर तथा वुड इंडस्ट्री से जुड़े क्षेत्र में देश-विदेश की बड़ी कंपनियाँ बड़ा इन्वेस्टमेंट कर रही है और ऑर्गेनाइज़्ड सैक्टर का बाजार हिस्सा बढ़ रहा है तब बड़ी संख्या में स्किल्ड वर्कस की जरुरत है। 2030 तक 40 करोड़ युवा वर्क फ़ोर्स में से 4 करोड़ स्कील्ड वर्कस अलग अलग क्षेत्रो के लिए तैयार करने का टार्गेट देश को सिद्ध करना चाहिये, जो हमारी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र …………………….
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