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करीब दो साल पहले उत्तर भारतीय रोज़वुड या शीशम से बने फर्निचर और अन्य वस्तुओं के निर्यात संबंथी बाधाओं को दूर करने के लिए या प्रतिबंधात्मक प्रावधानों को दूर करने के लिए CITES (सीआईटीईएस) द्वारा कदम उठाये गये थे, जिससे भारतीय फर्निचर उद्योग को निर्यात के लिए प्रोत्साहन मिला।
शीशम (Shisham या Dalbergia sissoo) भारतीय महाद्वीप वृक्ष है जो खासकर उत्तर भारत में पाया जाता है, यह मध्य पश्चिमी और दक्षिणी भारत में भी कुछ हद तक पाया जाता है। घर में शुद्ध शीशम की लकड़ी के फर्निचर सोफ्टवुड की तुलना में अधिक टिकाऊ है, इसलिए आसानी से तूटते नहीं है। यह बहुमुखी है क्योंकि यह विभिन्न डिज़ाइनों और शैलियों में उपलब्ध है। अन्य हार्डवुड की तुलना में इसे साफ करना और बनाये रखना आसान है। अपने निकटतम प्रति द्वंद्वी सागौन की तुलना में इसकी कीमत उचित है, इसका रंग बहुत आकर्षक है। शीशम की उपलब्धता सीमित होती है। सर्वश्रेष्ठ शीशम लकड़ी के फर्नीचर की जाँच करना या प्रामाणिकता की जाँच करना जरा कठिन काम है, लेकिन इसका रंग, लचीलापन, वजन और सुगंध से उसे पहचाना जा शकता है, असली शीशम की लकड़ी के फर्निचर में एक अलग मिटी की गंध होती है, जिसे दोहराना मुश्किल है। शीशम की लकड़ी आधुनिक घरो में फर्निचर बनाने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है।
शीशम एक कठिन और तेजी से बढ़ने वाला रोज़वुड पेड़ है जो दक्षिणी ईरान और भारतीय उपमहाद्वीप के लिए स्वदेशी है। शीशम पेड़ की ऊंचाई 82 फ़ीट तक और व्यास (गोलाई) 2 से 3 मीटर (6.5 फीट से 10 फ़ीट तक की होती है। शीशम की लकड़ी, बीज़ और पत्ते का उपयोग औषध के रूप में भी किया जाता है। भारत में यह लकड़ी नक्काशी और उत्कीर्णन वस्तुओं के लिए प्रसिद्ध है और इसका प्राकृतिक प्रतिरोध निम्नीकरण है। शीशम की लकड़ी तूटती या मुडती नहीं है, इसलिए इसका उपयोग अक्सर अलमारियों और अन्य बरतन बनाने के लिए किया जाता है। यह लकड़ी टिकाऊ और उत्तम दीमक रेजिस्टेंस है। शीशम का वृक्ष पर्यावरण के लिए भी उपयोगी है।
भारत के फर्निचर निर्यात के लिए कुछ अच्छे फैसले पिछले तीन साल में (कोविड-19 के बाद) लिए गये है जिसमें से एक निर्णय CITES द्वारा शीशम फर्निचर निर्यात के बारे में है। शीशम और अन्य वस्तुओं के निर्यात में बाधा डालने वाली संधि में प्रतिबंधात्मक प्रावधान को दूर कर दिया गया। शीशम संमेलन के परिशिष्ट 2 में शामिल है, इसलिए 10 किलो से अधिक वजन वाले प्रत्येक निर्यातमाल को वर्तमान में सीआईटीईएस परमीट की आवश्यकता होती है। पहले (2022 से पहले) शीशम फर्निचर पर प्रतिबंधो के कारन निर्यात में काफी गिरावट आई हुई थी और हजारो कारीगरो की आजीविका को इसने प्रभावित किया था। अब इस अड़चनो को दूर करने के साथ (दो साल पहले) सहमति हो गई है कि सीआईटीईएस की अनुमति के बिना एक शिपमेंट में शीशम लकड़ी आधारित वस्तुओं की किसी भी संख्या को एक ही खेप के प्रत्येक व्यक्तिगत आइटम का वजन 10 किलो से कम है।
इसके अलावा, यह सहजति हुई कि प्रत्येक वस्तु के शुद्ध वजन के लिए, केवल लकड़ी पर विचार किया जाता है और धातु जैसे उत्पाद में उपयोग की जाने वाली किसी भी अन्य वस्तुओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है। ऐसे तो भारत से अनप्रोसेस्ड लॉग्स निर्यात नहीं कर शकते इसके साथ साथ सेंडलवुड (चंदन लकड़ी), शीशम लॉग्स और सोनवुड निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है। विश्व में फर्निचर निर्यात में भारत 12 वे स्थान पर है, लेकिन फर्निचर उपभोक्ता के रूप में विश्व में भारत का स्थान चौथा और फर्निचर प्रोड्युसर के रूप में भारत का स्थान पाँचवा है। भारत में सबसे ज्यादा फर्निचर अमरिका (U.S.), फ्रान्स, नेधरलैण्ड, जर्मनी और यु.के में निर्यात करता है। भारत से शीशम फर्निचर बड़ी मात्रा में निर्यात होता है। विश्व फर्निचर बाजार में लोकप्रिय न होने के दो प्रमुख कारन है, एक कारपेन्टर के लिए काम करने में कठिनाई लकड़ी की हार्डनेस के कारन और दूसरा कारन है शीशम लकड़ी की कम उपलब्धता और ज्यादा कीमत।